बरगद / बड़ (Banyan Tree)
बड का वृक्ष बहुत विशाल होता है। भारतवर्ष में इसके बराबर घेरे के वृक्ष दूसरे नहीं होते इसके पिंड की गोलाई 25 से 30 फुट तक की होती है। इस वृक्ष में से लंबे लंबे तंतु फुटकर जमीन के तरफ चलते हैं और वे जमीन में घुसकर जड़ पकड़ लेते हैं इस वृक्ष का घेराव बढ़ता हुआ चला जाता है। जमीन के अंदर इसकी जड़ें 100 हाथ के घेराव तक फैल जाती है। कोई-कोई वृक्ष इतना बड़ा हो जाता है कि जिसकी छाया में पंद्रह सौ आदमी विश्राम कर सकते हैं। इसके पत्ते गोल और अंडा करते होते हैं इसके फल लाल रंग के होते हैं। जो इसके पिंड में से फूटते हैं। इसकी शाखाओं में से लाल लाल रंग के अंकुर निकलते हैं। जिनको बड़ की जटा कहते हैं। उस वृक्ष के हर एक भाग में दूधिया रस भरा हुआ रहता है । जो कहीं से भी चोट मारने से निकलता है ।
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बरगद के फल/bargad ke fal |
बरगद के अन्य भाषाओं में नाम (bargad meaning)
- संस्कृत - वट(vat), रक्तफल(raktfal), शुग्डी(sugdi), स्कंधज(sakndaj), ध्रुव(dhruv), क्षरी(shree), अवरोहर(avrohar), भांडीर(bhandir), वृक्षनाथ(vrakshnath), यमप्रिय(yumpriy) इत्यादि।
- हिंदी - बड़(bad), वट(vat), बरगद(bargad)।
- गुजराती - बड़(bad), बड़लो(badlo)।
- बंगाल - बड़(bad), बोट(bot)।
- मराठी - बड़(bad)।
- कोकण - बड़(bad)।
- उत्तर पश्चिम प्रांत - कूरकू(kurku), बोरा(bora)।
- पंजाब - बरगद(bargad), बेरा(bera), बोहर(bohar), बोहिर(bohir)।
- तमिल - बड़म(badm), आल(aal), कदबम(kadbam) इत्यादि।
- उर्दू - बरगद(bargad)।
- पारसी - दरख्ते रेशा(darkhte resaa)।
- अरबी - जातूले जेब्बा (jalute jebba)।
- अंग्रेजी - बनयान ट्री(banyan tree)।
- लेटिन - फाइकस बेंगालेंसिस(Ficus benghalensis)।
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बरगद के औषधीय गुण (bargad ke aushdhiy gun)
- आयुर्वेद के मत से इस वृक्ष के सभी हिस्से कसेले, मधुर, शीतल,आंतों का संकुचन करने वाले, कफ, पित्त और वर्णों को नष्ट करने वाले तथा उल्टी, ज्वर, योनिदोष, मूर्छा और विसर्प में लाभदायक है। यह कांति को बढ़ाते हैं। इसके पत्ते व्रर्णों के लिए लाभदायक है। नवीन पत्ते गलित कुष्ठ में फायदा पहुंचाते हैं। इसका दूध वेदनानाशक और व्रणरोपक होता है। इसके फूल पत्ते पसीना लाने वाले और कोमल पत्ते कफनाशक होते हैं। इसकी छाल, स्तम्भक होती है। इसके बीज ठंडे और पौष्टिक होते हैं।
- यूनानी मत से बड़ शर्द और खुश्क होता है। इसका दूध तीसरे दर्जे में सर्द और खुश्क होता है। इसका दूधिया रस कामोद्दीपक, पोस्टिक, फोड़े को पकाने वाला, सूजन को दूर करने वाला, बवासीर में लाभदायक, नाक की बीमारियों में फायदा पहुंचाने वाला और सुजाक में लाभदायक होता है। इसकी जड़ रक्तस्राव- रोधक, कामोद्दीपक और सुजाक, उपदंश, पित्तविकार, रक्ताविकार तथा यकृत की सूजन में लाभदायक होती है। इसके पत्ते घाव को अच्छा करने और पित्तविकार में लाभदायक होते हैं। इसकी नई कोपल वायु को बिखेरती है। इसकी लकड़ी की छाल कसेली और फोड़े की जलन को मिटाने वाली होती है।
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बरगद के पत्ते/ bargad ke patte |
बरगद का पेड़ के फायदे (bargad benefits in hindi)
बरगद से वीर्य का पतलापन का इलाज ( virya ka patlapan)
इसकी कोपलों को छाया में सुखाकर उनको कूट छानकर उनमें समान भाग मिश्री मिलाकर 7 दिन तक निहारे मुंह दूध के साथ लेने से वीर्य का पतलापन, सुजाक और गुर्दे की जलन मिटती है।
काम शक्ति ( sex power)
इसके कच्चे फल को छाया में सुखाकर उसको पीसकर दो चम्मच की मात्रा में 150ml दूध के साथ पीने काम शक्ति बढ़ती है।
बरगद से धात गिरना का इलाज ( bargad se dhaat girne ka ilaaj)
इसकी डाढ़ी को पीसकर 3gm से 11gm तक की मात्रा में खाने से प्रमेह रोग और धातुस्त्राव में लाभ होता है।
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इसकी कोपलों को छाया में सुखाकर उनको कूट छानकर उनमें समान भाग मिश्री मिलाकर 7 दिन तक निहारे मुंह दूध के साथ लेने से वीर्य का पतलापन, सुजाक और गुर्दे की जलन मिटती है।
काम शक्ति ( sex power)
इसके कच्चे फल को छाया में सुखाकर उसको पीसकर दो चम्मच की मात्रा में 150ml दूध के साथ पीने काम शक्ति बढ़ती है।
बरगद से धात गिरना का इलाज ( bargad se dhaat girne ka ilaaj)
इसकी डाढ़ी को पीसकर 3gm से 11gm तक की मात्रा में खाने से प्रमेह रोग और धातुस्त्राव में लाभ होता है।
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ऐसे ताजा जख्म जिससे टांके लगाने की आवश्यकता हो, उसके मुंह को मिलाकर, बड़ के पत्तों को गरम करके उस पर रखकर मजबूती से बांधे और तीन रोज तक पट्टी को नहीं खोले तो वह जख्म बिना टांके लगाए ही भर जाएगा।
बाल उगाने के लिए बरगद का प्रयोग (Baal ugane Ke liye bargad ka prayog)
इसके पत्तों को जलाकर अलसी के तेल में मिलाकर सिर की गंज पर लगाने से फायदा होता है।
श्वेत प्रदर ( Likoria mein bargad ka prayog)
बड़ के पत्तों को छाया में सुखाकर, पीसकर शक्कर मिलाकर चाटने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
जख्म मलहम ( jakhm bharane Ke liye bargad ka Mal ham)
इसके पीले पत्तों को जलाकर उनकी राख को मोम और घी मिलाकर मरहम बनाकर जख्म पर लगाने से जख्म भर जाता है।
मसूड़ों की सूजन ( masudo ki sujan mein bargad ka prayog)
पीपल की छाल के साथ बड़ की छाल को जोश देकर कुल्ले करने से मसूड़ों की सूजन और जलन में लाभ होता है।
चोट ( Sharir ki chot per bargad ka prayog)
इसका दूध चोट और मोच पर लगाने से लाभ होता है।
सूजन ( sujan mein bargad ka prayog)
इसके पत्तों पर घी चुपड़ कर उनको गर्म करके सूजन पर बांधने से सूजन बिखर जाती है।
बहुमूत्र ( jyada peshab aane per bargad ka nuskha)
बहुमूत्र रोग में इसकी जड़ की छाल का काढ़ा दिया जाता है।
गठिया ( gathiya mein bargad ka prayog)
गठिया की सूजन पर दूध का लेप करने से पीड़ा में कमी होती है।
पेशाब की जलन ( peshab ki Jalan mein bargad ka prayog)
इसकी एक या दो कोमल कोपलों का रस दूध के अंदर देने से सुजाक में पेशाब की जलन कम हो जाती है।
दंतशूल ( Danton ke dard ka ilaaj Hai barkad)
सड़े हुए दांत में इसके दूध का फोया रखने से दंतशूल बंद हो जाता है।
सुजाक ( sujak mein bargad ka prayog)
इसकी जड़ के तंतु पंजाब के अंदर सुजाक में फायदा पहुंचाने के लिए देते हैं। यह जड़ के तंतु सार्सापरेला के समान रक्तशोधक माने जाते हैं।
कान के कीड़े ( bargad ke dudh se Kan Ke kide mare)
कान के अंदर बड़ का दूध टपकाने से कान के कीड़े मर जाते हैं और कान की फुड़िया भी आराम होती है।
आंतों की सूजन ( aanto ki sujan Ke liye bargad ka nuskha)
इसके पत्ते गर्म करके पुल्टिस की तरह पेट पर बांधे जाते हैं जिनसे पेट के अंदर की आंतों की सूजन दूर होती है।
मसूढ़ों के रोग ( bargad se masudon ka ilaaj)
बड़ की छाल का क्वाथ बनाकर उससे कुल्ले करने से दांत और मसूढ़ों के रोग मिटते हैं।
डाढ़ का दर्द ( Molar Ke dard mein badh ka dudh)
बड़ के दूध का फोया रखने से डाढ़ का दर्द मिट जाता है।
कफ के साथ खून ( cough ke saath khoon aane mein bargad ka prayog)
इसकी छोटी-छोटी शाखाओं का सीतनिर्यास कफ के साथ खून जाने की बीमारी में उपयोग होता है।
कमर के दर्द ( bargad se Kamar ka dard ka ilaj)
कमर के दर्द और संधियों के सूजन पर इसके दूध का लेप करने से फायदा होता है।
हाथ-पैरों में खारिये ( hath pairon ke kariye)
बरसात के दिनों में किसान लोगों को हमेशा पानी में रहने की वजह से हाथ पैरों में खारिये पड़ जाते हैं। वह बड़ का दूध लगाने से अच्छे हो जाते हैं।
स्त्रियों के ढीले स्तन ( striyon ke dhile satno ka ilaj bargad)
इसकी जड़ के बारीक जिनके सिर पीले और लाल हो उसको पीसकर स्तनों पर लेप करने से सतन कठोर हो जाते हैं।
फोड़े ( phodo mein bargad ka prayog)
इसके पत्तों का पुल्टिस बनाकर फोडो पर बांधना चाहिए जब वे फोड़े पककर पीले पड़ जावे तब इसके पत्तों का चावलों के साथ औटा कर बफौरा देना चाहिए।
मूत्रकृच्छृ ( diuretic ka ilaj bargad ke dwara)
इसकी जड़ की छाल पीसकर ठंडाई की तरह पिलाने से मूत्रकृच्छृ मिटता है।
रक्त की वमन ( khoon ki ulti rokne Ke liye bargad ka nuskha)
इसकी नरम डालियों को फाट बनाकर पिलाने से रक्त की वमन बंद होती है।
पसीना लाने के लिए ( pasina laane ke liye bargad ka nuskha)
इसके पीले पत्तों को चावल के साथ पकाकर उन चावलों का काढ़ा पसीना लाने के लिए दिया जाता है।
वमन ( ulti rokane Ke liye bargad ka nuskha)
इसकी जटा के अंकुर को घोट छानकर पिलाने से किसी भी औषधि से नहीं मिटने वाली वमन बंद हो जाती है।
वीर्य की कमजोरी ( virya gadha karne ke liye bargad ka istemal)
इसके क्वाथ या रस को गाढ़ा करके उसमें पोस्टिक औषधियों को मिलाकर खिलाने से वीर्य की कमजोरी और मूत्रकृच्छृ मिटता है।
इसके पत्तों को जलाकर अलसी के तेल में मिलाकर सिर की गंज पर लगाने से फायदा होता है।
श्वेत प्रदर ( Likoria mein bargad ka prayog)
बड़ के पत्तों को छाया में सुखाकर, पीसकर शक्कर मिलाकर चाटने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
जख्म मलहम ( jakhm bharane Ke liye bargad ka Mal ham)
इसके पीले पत्तों को जलाकर उनकी राख को मोम और घी मिलाकर मरहम बनाकर जख्म पर लगाने से जख्म भर जाता है।
मसूड़ों की सूजन ( masudo ki sujan mein bargad ka prayog)
पीपल की छाल के साथ बड़ की छाल को जोश देकर कुल्ले करने से मसूड़ों की सूजन और जलन में लाभ होता है।
चोट ( Sharir ki chot per bargad ka prayog)
इसका दूध चोट और मोच पर लगाने से लाभ होता है।
सूजन ( sujan mein bargad ka prayog)
इसके पत्तों पर घी चुपड़ कर उनको गर्म करके सूजन पर बांधने से सूजन बिखर जाती है।
बहुमूत्र ( jyada peshab aane per bargad ka nuskha)
बहुमूत्र रोग में इसकी जड़ की छाल का काढ़ा दिया जाता है।
गठिया ( gathiya mein bargad ka prayog)
गठिया की सूजन पर दूध का लेप करने से पीड़ा में कमी होती है।
पेशाब की जलन ( peshab ki Jalan mein bargad ka prayog)
इसकी एक या दो कोमल कोपलों का रस दूध के अंदर देने से सुजाक में पेशाब की जलन कम हो जाती है।
दंतशूल ( Danton ke dard ka ilaaj Hai barkad)
सड़े हुए दांत में इसके दूध का फोया रखने से दंतशूल बंद हो जाता है।
सुजाक ( sujak mein bargad ka prayog)
इसकी जड़ के तंतु पंजाब के अंदर सुजाक में फायदा पहुंचाने के लिए देते हैं। यह जड़ के तंतु सार्सापरेला के समान रक्तशोधक माने जाते हैं।
कान के कीड़े ( bargad ke dudh se Kan Ke kide mare)
कान के अंदर बड़ का दूध टपकाने से कान के कीड़े मर जाते हैं और कान की फुड़िया भी आराम होती है।
आंतों की सूजन ( aanto ki sujan Ke liye bargad ka nuskha)
इसके पत्ते गर्म करके पुल्टिस की तरह पेट पर बांधे जाते हैं जिनसे पेट के अंदर की आंतों की सूजन दूर होती है।
मसूढ़ों के रोग ( bargad se masudon ka ilaaj)
बड़ की छाल का क्वाथ बनाकर उससे कुल्ले करने से दांत और मसूढ़ों के रोग मिटते हैं।
डाढ़ का दर्द ( Molar Ke dard mein badh ka dudh)
बड़ के दूध का फोया रखने से डाढ़ का दर्द मिट जाता है।
कफ के साथ खून ( cough ke saath khoon aane mein bargad ka prayog)
इसकी छोटी-छोटी शाखाओं का सीतनिर्यास कफ के साथ खून जाने की बीमारी में उपयोग होता है।
कमर के दर्द ( bargad se Kamar ka dard ka ilaj)
कमर के दर्द और संधियों के सूजन पर इसके दूध का लेप करने से फायदा होता है।
हाथ-पैरों में खारिये ( hath pairon ke kariye)
बरसात के दिनों में किसान लोगों को हमेशा पानी में रहने की वजह से हाथ पैरों में खारिये पड़ जाते हैं। वह बड़ का दूध लगाने से अच्छे हो जाते हैं।
स्त्रियों के ढीले स्तन ( striyon ke dhile satno ka ilaj bargad)
इसकी जड़ के बारीक जिनके सिर पीले और लाल हो उसको पीसकर स्तनों पर लेप करने से सतन कठोर हो जाते हैं।
फोड़े ( phodo mein bargad ka prayog)
इसके पत्तों का पुल्टिस बनाकर फोडो पर बांधना चाहिए जब वे फोड़े पककर पीले पड़ जावे तब इसके पत्तों का चावलों के साथ औटा कर बफौरा देना चाहिए।
मूत्रकृच्छृ ( diuretic ka ilaj bargad ke dwara)
इसकी जड़ की छाल पीसकर ठंडाई की तरह पिलाने से मूत्रकृच्छृ मिटता है।
रक्त की वमन ( khoon ki ulti rokne Ke liye bargad ka nuskha)
इसकी नरम डालियों को फाट बनाकर पिलाने से रक्त की वमन बंद होती है।
पसीना लाने के लिए ( pasina laane ke liye bargad ka nuskha)
इसके पीले पत्तों को चावल के साथ पकाकर उन चावलों का काढ़ा पसीना लाने के लिए दिया जाता है।
वमन ( ulti rokane Ke liye bargad ka nuskha)
इसकी जटा के अंकुर को घोट छानकर पिलाने से किसी भी औषधि से नहीं मिटने वाली वमन बंद हो जाती है।
वीर्य की कमजोरी ( virya gadha karne ke liye bargad ka istemal)
इसके क्वाथ या रस को गाढ़ा करके उसमें पोस्टिक औषधियों को मिलाकर खिलाने से वीर्य की कमजोरी और मूत्रकृच्छृ मिटता है।
कमर का दर्द ( Kamar dard ka ilaaj)
बड़ के दूध का लेप करने से कमर की पीड़ा मिटती है।
मूत्रकृच्छृ ( mutra kach ka ilaaj bargad se)
बड़ का दूध बताशे में भरकर 3 दिन प्रातः काल में खाने से मूत्रकृच्छृ मिटता है। इसकी कोपलों को छाया में सुखाकर उनको पीसकर उनमें समान भाग मिश्री मिलाकर दूध की लस्सी के साथ लेने से मूत्रकृच्छृ मिटता है।
रक्त प्रदर ( rakt Patra mein bargad ka paryog)
रक्त प्रदर, खूनी, बवासीर इत्यादि रोगों में अगर रक्त का बहना किसी और औषधि से बंद ना होता हो तो बड़ के दूध की पांच से सात बूंदे दिन में तीन से चार बार देने से फौरन बंद हो जाता है।
कंठमाला ( scrofula aur bargad ka doodh)
कंठमाला पर बड़ का दूध लगाने से लाभ होता है।
उपदंश ( bargad se syphilis ka ilaaj)
इसके पत्तों को जलाकर उनकी भस्म को पानी में रखकर खाने से उपदंश में लाभ होता है।
आग से जलना ( aag se jalne par barkat ka nuskha)
बड़ की कोपलों को गाय के दही के साथ पीसकर अग्नि से जले हुए स्थान पर लगाने से शक्ति मिलती है।
पैरों की बिवाई ( pairon ki bivaai mein bargad ka prayog)
इसका दूध पैरों की फटी हुई बिवाई में भरने से वह अच्छी हो जाती है।
नासूर ( bargad se canker ka ilaaj )
बड़ के दूध में सांप की कांचली की राख मिलाकर उसमें पतले कपड़ो को तर करके उसकी बत्ती को नासूर में भरने से कुछ दिनों में नासूर भर जाता है।
रक्तपित्त ( bargad se blood bile ka ilaj)
इसके पत्तों की लुग्दी में शहद और शक्कर मिलाकर खाने से रक्तपित्त मिटता है।
आंखों का जाला ( aankhon ka Jala)
बड़ के दूध को आंख में भरने से आंख का जाला मिटता है।
अतिसार ( dast mein bargad ka nuskha)
इसका दूध नाभि में भरने और उसके आसपास लगाने से अतिसार मिटता है।
मधुमेह ( sugar mein bargad ka prayog)
इसकी छाल का सीतनिर्यास एक प्रभावशाली पोस्टिक वस्तु होती है और इसमें मधुमेह को दूर करने वाले विशिष्ट तत्व पाए जाते हैं।
उल्टी ( ulti aane per bargad ka prayog)
बड़ की जटा की राख को खिलाने से उल्टी बंद होती है। इसकी डाढ़ी को जलाकर, पानी में भिगोकर जब वह पानी नितर जाए तब उस पानी को पिलाने से सब प्रकार की उल्टी बंद हो जाती है।
बड़ के दूध के फायदे ( bargad ke doodh ke fayde)
- बड़ के दूध को आंख में लगाने से आंख का जाला कटता है।
- हिलते हुए दांत पर बड़ के दूध को लगाने से वह दांत आसानी से निकाला जा सकता है।
- शरीर के किसी अंग की सूजन पर प्रारंभ से ही इसके दूध को लगाने से उसका बढ़ना रुक जाता है।
- बदगांठ पर भी इसको लगाने से बड़ा लाभ होता है। अगर उसके दोष कम होते हैं तो वह बिखर जाती है। अगर उसके दोष ज्यादा होते हैं तो वह पककर फूट जाती है और धीरे-धीरे जख्म भर जाता है।
बरगद का दूध एक रसायन ( bargad ka rasayan)
इसका दूध सूजन को बिखेरता है और काम शक्ति को बढ़ाता है। बड़ का दूध प्रतिदिन सवेरे 3gm की मात्रा में 3 gm शक्कर के साथ सूर्योदय के पहले खाना प्रारंभ करें। जैसे-जैसे अनुकूल होता जाए वैसे-वैसे इसकी थोड़ी-थोड़ी मात्रा बढ़ाना चाहिए। अगर कोई नुकसान नहीं मालूम पड़े तो ग्यारहवें दिन इसकी मात्रा 10gm तक पहुंचा देना चाहिए। फिर धीरे-धीरे कम करते हुए 21 वें दिन इसकी मात्रा 3gm की करके इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। इस प्रयोग से हर प्रकार की बवासीर में लाभ होता है। वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन और प्रमेह रोग में लाभ पहुंचाता है। दिल दिमाग और जिगर को यह शक्ति देता है और स्तंभ पैदा करता है।
सावधानी ( bargad ke nuksan)
बरगद के किसी भी अंग का इस्तेमाल करते समय याद रखें कि इसके अंगों को लोहे की धातु के संपर्क में ना लाएं खास करके इसके फल और दूध को।