अफीम / Afeem / Opium Poppy
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afeem ka podha |
अफीम का पौधा की पहचान | Afeem Ka Podha Ki Pahchan | Identification of poppy plant
अफीम की खेती भारतवर्ष में विशेषकर मालवा, मेवाड़ इत्यादि प्रांतों में की जाती है। आज से करीब 40 वर्ष पहले इसकी खेती बहुत बड़े परिमाण में होती थी और इसके व्यापार से लोग करोड़ों रुपया पैदा करते थे। मगर अब गवर्नमेंट ने इसकी खेती बहुत ही कम कर दी है।
अफीम पोस्तदाने के वृक्ष से पैदा होती है। षौस मास में इस वृक्ष पर अनेक रंगों के रंग-बिरंगे बड़े सुंदर फूल लगते हैं और उन पर डोडिया लगती है। दो-तीन सप्ताह में यह डोडे अफीम निकालने लायक हो जाते हैं। तब उनकी लोहे के तेज औजार से तीन-तीन चार-चार चीरा लगा देते हैं। उन चीजों में से दूध के रूप में अफीम निकलती है और डोडो पर जम जाती है दूसरे दिन सवेरे वह दूध अफीम की शक्ल में जम जाता है और लोग खुरच लेते हैं इकट्ठा होने पर इसे तेल के हाथ दे देकर साफ करते हैं जिससे जल का अंश निकल जाता है।
अफीम के व्यवसाय पर गवर्नमेंट के एक्साइज डिपार्टमेंट का आधिपत्य है। जितनी अफीम पैदा होती है सब सरकारी गोदाम में पहुंचाई जाती है। जिसकी बटिया बांधकर उस पर गवर्नमेंट की सील मोहर लगाई जाती है।
अफीम के अन्य भाषाओं में नाम | Opium names in other languages
संस्कृत - अहिफेन (Ahifen)।
हिन्दी - अफीम (Afeem)।
बंगाली - आफिंग (Afing)।
मराठी - अफू (Afu), कडवी (Kadvi)।
गुजराती - अफेण (Afen)।
तेलुगू - नाल्लामन्दु (Nallamandu)।
फारसी - अफ्युनतिय्यकि (Afyuntiyki)।
अरबी - लवनुल खसखस (Lavnul khaskhas)।
लेटिन - Opium. (ओपियम)।
अफीम के गुण-दोष और प्रभाव | Afeem Ke Gun-Dosh | Properties and defects of opium
आयुर्वेद अनुसार अफीम वीर्य वर्धक, बलकारक, ग्राही, सप्तधातु शोधक, वात पित्त कारक, आनंददायक, नशीली, वीर्य को स्तम्भन करने वाली, कड़वी, मधुर तथा सनीपात, कृर्मी, कफ, पांडुरोग, क्षय, परमेश्वर खासी प्लीहा और धातुक्षय को मिटाने वाली है।
महर्षी चरक के मतानुसार अफीम दूसरी वस्तुओं के साथ सांप और बिच्छू के जहर के इलाज में भी दी जाती है। इसमें उत्तेजक, आहृदकारक, वाजीकरण, निंद्राजनक, शांतिदायक, पीड़ा सामक, मादक, कफ नाशक, ग्राही, रक्त संग्राहक, पार्यायिक ज्वर निवारक, शोधनाशक इत्यादि अमूल्य धन पाए जाते हैं। यह सब प्रकार के धर्म इसको भिन्न-भिन्न मात्रा में प्रयोग करने से प्रत्यक्ष होते हैं।
छोटी मात्रा में यह वस्तु अपना उत्तेजक धर्म बतलाती है। इसका यह उत्तेजक धर्म सबसे पहले दिमाग में दिखाई देता है और वहां से सारे शरीर में पहुंच जाता है। ज्ञान तंतुओं पर छोटी मात्रा में देने से यह प्रत्यक्ष उत्तेजना बतलाती है। अफीम का यह उत्तेजक धर्म अत्यंत महत्वपूर्ण और उपयुक्त है मगर यह सिर्फ इसको छोटी मात्रा में देने से ही प्राप्त किया जा सकता है। थकावट, उदासीनता, थोड़े परिश्रम से हाथ पैर का कांपना, वृद्ध अवस्था से उत्पन्न होने वाला कंटाला इत्यादि में छोटी मात्रा में अफीम को देने से बड़ी तसल्ली मिलती है।
रक्ताभिसरण क्रिया को,, विशेषकर छोटी रक्त वाहिनी को अफीम उत्तेजना देती है। रक्तवाहिनियो की शिथिलता से कितने ही लोगों को बारंबार सर्दी जुकाम हो जाया करता है। कितनों ही के हाथ पाव ठंडे रहते हैं। ऐसे लोगों को अफीम देने से लाभ होता है।
सर्दी और जुकाम के होते ही अफीम का प्रयोग करने से उसका बढ़ना रुक जाता है। गले की सूजन और दर्द में, सूखी खांसी में और श्वास मार्ग के द्वार में होने वाले नुकसान में अफीम का अवलेह बना कर देना चाहिए। बच्चों के श्वास मार्ग में सूजन होकर घबराहट पूर्ण खासी हो जाती है। ऐसे समय में अफीम का अवलेह देने से तत्काल फायदा होता है। फेफड़े से रक्त बहना भी इससे शीघ्र बंद हो जाता है। कुकर खांसी में और दमे के अंदर अफीम को गोली के रूप में देना चाहिए। कुछ लोगों को श्वास नलिका में बार-बार सूजन हो जाने की आदत हो जाती है। ऐसे लोगों को सूक्ष्म मात्रा में अफीम देने से वह आदत बंद हो जाती है। श्वासोच्छवास के केंद्र स्थान पर इसकी प्रतिक्रिया होती है।
अधिकांश लोगों का विश्वास है कि पेशाब में शक्कर जाने की हालत में यह अपना अच्छा असर दिखाती है। लेकिन सन 1921 में जब इस बात की जांच की गई तो मालूम हुआ कि थोड़ी और साधारण मात्रा में दी जाने पर यह शुगर रोग में निस्पल सिद्ध हुई।
गर्भपात को रोकने के लिए अफीम एक उत्तम वस्तु है। अफीम देने से पीड़ा और रक्तस्राव बंद हो जाता है।
अफीम खाने की मात्रा | Afeem Kitni Khaye | Opium intake
अफीम की न्यूज़ मात्रा एक रत्ती की चोथाई हिस्से जितनी मात्रा तक की है।
अफीम की मध्यम मात्रा आधी रत्ती से डेढ़ रत्ती तक की है।
अफीम की बड़ी मात्रा डेढ रत्ती से दो रत्ती तक की है।
बड़ी मात्रा में 'अफीम' सामक धर्म बतलाती है। अमाशय के कुपचन से होने वाले दर्द, अबुर्द तथा इनसे होने वाली उल्टी इत्यादि उपद्रव में अफीम दी जाती है।
कौन से रोग में कितनी मात्रा दी जाए इसका निर्णय अनुभवी वैद्य से करवाना चाहिए। जिनको अफीम ग्रहण करने की मात्रा का ज्ञान नहीं हो वो भुल कर भी इसे ग्रहण ना करें।
अफिम खाने का तरीका | Afeem Khane Ka Tarika | How to eat Afim
अफीम देने के पहले यह भली प्रकार सोच लेना चाहिए कि रोगी अफीम ग्रहण करने के योग्य है या नहीं। रोगी का श्वासोच्छवास अगर ठीक चलता हो, उसकी त्वचा मृदु और मुलायम हो और उसका कफ अगर बिल्कुल ढीला हो तो उसको अफीम दी जा सकती है।
अगर उसको सांस लेने में कठिनाई होती हो उसके होंठ काले या बैंगनी हो उसके मूत्र पिंड में किसी प्रकार की खराबी हो तो ऐसे रोगी को अफीम कभी नहीं देनी चाहिए। जिसका कफ चिकना हो कर जमा हुआ हो उसको भी यह वस्तु नहीं देनी चाहिए।
उचित मात्रा में अफीम ऊपर बतलाए अनेक प्रकार के चमत्कारिक गुण बतलाती है। वही अधिक मात्रा में यह एक भयंकर विष है। जो रोगी का तत्काल प्राणनाश कर देता है। इसलिए इसका प्रयोग हमेशा बहुत समझ बूझ कर करना चाहिए।
अफिम खाने पर क्या होता है | What happens when you eat Afim
यह सबसे पहले मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाती है। फिर शरीर की शक्ति व गर्मी को बढ़ाती है। जिससे कुछ आनंद व संतोष मालूम पड़ता है। किंतु कुछ ही समय के बाद इसको लेने की आदत पड़ जाती है। यह नशीली वस्तु है। जो सांस की क्रिया पर अपना उपशामक असर दिखाती है। यही कारण है कि यह श्वास, कुकर खांसी में इसका विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।
अफीम वीर्य संबंधी शक्तियां प्रदान कर, मांसपेशियों पर विशेष असर दिखाती है। तथा मस्तिष्क में मादकता का संचार कर उसे ढीला बनाती है, यह वीर्य विकारों को दूर करती है व शरीर की शक्तियों को कुछ समय के लिए बढा देती है, यह शारीरिक अंगों की पीड़ा दूर करने में बहुत लाभदायक है, अंधा शीशी, कमर की वादी और जोड़ों के दर्द में भी इसका उपयोग बहुत फायदेमंद है, साथ ही यह वह दस्त व खूनी दस्त में भी लाभ पहुंचाती है।अफीम का रासायनिक विश्लेषण | Chemical analysis of opium
अफीम का रासायनिक विश्लेषण करने पर उसके अंदर प्रधान रूप से 'मारफाइन' नामक उपक्षार और 'नारकोटाइन' नामक एक पदार्थ का सत्व यह दो तत्व पाए गए।
'नारकोटाइन' अफीम में से प्राप्त होने वाला एक प्रकार का सत्व है। जिसमें की नींद लाने का खास गुण होता है। यह अफीम में बाकी मात्रा में रहता है। अगर जानवरों की शिरोओं में इसका इंजेक्शन दिया जाए तो उनका ब्लड प्रेशर गिर जाता है, रक्तवाहिनी नलिया ढीली हो जाती है, ब्लड प्रेशर गिरने से हृदय की गति पर भी प्रभाव पड़ता है, मस्तिष्क की गति पर असर दिखा कर यह उसे ढीला करती है।
दूसरा तत्व 'मारफाइन' नारकोटाइन से अधिक जोरदार अधिक महत्वपूर्ण है। यह भी अफीम का एक उपक्षार है। प्रारंभ में लोगों का ध्यान इसकी और कम गया लेकिन बाद में इसके ऊपर कई प्रकार के अनुसंधान हुए और कई बीमारियों के उपचार में इसकी उपयोगिता पाई गई।
ओपियम कमीशन ने भी वैज्ञानिक ढंग से इसका मनन किया वह भी इसी नतीजे पर आए कि इसमेें मारफाइन व नारकोटाइन यह दो मुख्य पदार्थ रहते हैं। मारफाइन में उपशम और निंद्रा लाने वाला गुण विशेष है और नारकोटाइन एक प्रकार का पुष्टि कारक और सामयिक बुखारो को नष्ट करने वाला पदार्थ है। यही गुण क्विनाइन में भी पाए जाते हैं। क्विनाइन और अफीम में इन गुणों की समानता होने से ही यह अफीम मलेरिया के बाहरी चिन्हों को दबा देती है। पर इस बीमारी के मूलभूत कारण पर कोई असर नहीं पहुंचाती है।
अफीम खाने के फायदे | Afeem Khane Ke Fayde | Benefits of eating Afeem (poppy)
दस्त में अफीम के औषधिय लाभ। Pharmacological benefits of opium in diarrhea
दस्त के अंदर अफीम और केसर को समान भाग लेकर पीसकर एक रत्ती प्रमाण की गोली बनाकर शहद के साथ देने से लाभ होता है।
अजीर्ण (भोजन का ना पचना) मे अफीम का फायदा। Benefits of opium in indigestion
भयंकर अजीर्ण में नारियल में छेद कर दो रत्ती अफीम उस में रखकर आग पर पकाकर खिलाने से लाभ होता है।
फेफड़े संबंधी रोगों में अफीम का इस्तेमाल। Use of opium in lung diseases
आमातिसार (डायरिया) और विसूचिका (हैजा) में अफीम का औषधिय लाभ। Medicinal benefits of opium in diarrhea (diarrhea) and visuchika (cholera)
आमातिसार और विसूचिका में अफीम, जायफल, केसर और कपूर समान भाग खरल करके दो रत्ती की गोलियां बनाकर जल के साथ देने से लाभ होता है।
संग्रहणी (बार-बार दस्त) में करे अफीम का इस्तेमाल। Use of opium in sprue (frequent diarrhea)
अफीम और बच्छनाग 3-3 ग्राम, लोहे के भस्म 10 रत्ती और अभ्रक भस्म 12 रत्ती इन चारों वस्तुओं को दूध में घोटकर। एक एक रत्ती की गोलियां बनाकर दूध के साथ सेवन करना चाहिए। किंतु सेवन करते रहने तक जल का त्याग करके खाने पीने में दूध का ही व्यवहार करना चाहिए।
नारू कीड़े का घाव अफीम से ठीक करे। Naru worm treated with opium
अफीम और सांप की केंचुली की टिकिया बनाकर नारू पर लगाने से फायदा होता है।
अफीम का फायदा नासूर (घाव) में। Benefits of opium in canker sores
मनुष्य के नाखून की राख में दो या ढाई रत्ती अफीम मिलाकर गोलियां बनाकर सेवन करने से लाभ होता है।
अफीम का इस्तेमाल गठिया और आक्षेप वायू में। Opium used in arthritis and convulsions
गठिया, अक्षेप वायु, हनुस्तम्भ, प्रलाप आदि रोगों में उचित मात्रा में अफीम देने से लाभ बहुत होता है।
मूत्राशय की बीमारी और अफीम। Bladder disease and opium
स्नायू पिडा (नसो की दुर्बलता) और अफीम। Muscle spasm (ophthalmia) and opium
स्नायु संबंधी व पीड़ा पर अफीम का लेप करने से बहुत लाभ होता है।
अफीम से करे दांत-दर्द दूर। Relieve toothache with opium
अफीम और नौसादर को पीसकर दांत के छिद्र में रखने से दन्तपीड़ा मिटती है।
मस्तक रोग मे अफीम से लाभ। Benefits of opium in cervical disease
4 रत्ती अफीम और दो लॉन्ग पीसकर गर्म करके लेप करने से सर्दी और वादी का सिर दर्द मिटता है।
हृदय की समस्या में अफीम का औषधिय लाभ। Drug benefits of opium in heart problem
नासूर (घाव) ठीक करे अफीम से। Cure ulcer with opium
अफीम और हुक्के की किट की बत्ती बनाकर भरने से नासूर में लाभ होता है।
डायरिया और अफीम। Diarrhea and opium
अफीम को सेंक कर उचित मात्रा में खिलाने से पक्कवातिसार मिटता है।
कान का दर्द मे अफीम का उपयोग। Use of opium in earache
अफीम की आधी रत्ती भस्म, गुलाब के तेल में मिलाकर कान में टपकाने से कान का दर्द मिटता है।
सूजन में अफीम के लेप से लाभ। Benefits of opium paste in inflammation
कंठरोग में अफीम के सेवन से लाभ। Benefits of opium consumption in Laryngitis
अफीम के डोडे और अजवायन को पानी में उठाकर उस पानी से कुल्ला करने से बैठा हुआ गला दुरुस्त हो जाता है।
अफीम दुर करें गर्भाशय की पीड़ा। Poppy can cure uterine pain
अफीम के डोडो का क्वाथ पिलाने से बच्चा होने के बाद की गर्भाशय की पीड़ा मिटती है।
खांसी और जुखाम में अफीम के सेवन से फायदा। Consumption of opium in cough and cold
अफीम के बीज सहित 60 ग्राम डोडो का काढ़ा बनाकर उस काढे में 150 ग्राम मिश्री डालकर शरबत बना लेना चाहिए। इसमें से 30 ग्राम शरबत दिन में दो बार देने से खासी और जुखाम मिटते हैं।
अफीम का सेवन दुर करे कमर का दर्द । Opium intake can relieve back pain
10 ग्राम पोस्तदाना में एक तोला मिश्री मिलाकर फंकी देने से कमर का दर्द मिटता है।
बालों की समस्या मे अफीम का नुस्खा। Opium recipe in hair problem
इसके बीजों को दूध के साथ पीसकर लेप करने से बालों का दारुण रोग मिटता है।
आंतों की सूजन में अफीम का लेप। Poppy paste in intestinal inflammation
अमाशय की झिल्ली की सूजन में इसका लेप करने से बड़ा लाभ होता है।
सभी सूजन मे अफीम का इस्तेमाल। Use of opium in all inflammation
खून बहने मे अफीम का प्रयोग। Use of opium in bleeding
अफीम से बनने वाली औषधियां | Afeem Ke Nuskhe | Opium preparations
अफीम पाक। Afeem Paak
अकरकरा, केसर, लवंग, जायफल, भंग, सिंगरफ सब 40-40 ग्राम, दूध में दोला यंत्र द्वारा सिद्ध की हुई अफीम 20 ग्राम लेकर पीसकर 6 गुनी मिश्री की चासनी में अच्छी तरह से मिलाकर 4-4 ग्राम की गोलियां बनावे स्त्री प्रसंग से 2 घंटे पूर्व इस गोली को खाकर ऊपर से दूध पी लेना चाहिए। इससे बहुत बढ़िया स्तंभन होता है। जो व्यक्ति देर तक संभोग करने का आनंद प्राप्त करना चाहते हैं। वह एक बार इन अफीम की गोलियों का इस्तेमाल जरूर करें।
अफीम का प्लास्टर। Afeem Ka Plaster
अफीम का बारीक चूर्ण 20 ग्राम, रेजिनप्लास्टर 220 ग्राम। रेजिनप्लास्टर को गर्म पानी के अंदर पिघलाकर उसमें धीरे-धीरे अफीम को मिलाना चाहिए। किसी स्थान की वेदना को मिटाने के लिए इस प्लास्टर का उपयोग किया जाता है।
अफीम की स्तम्भन बटी। Afeem Ki Satambhan Vati
एक जायफल के अंदर बड़ा छेद करके उसमें अफीम भर कर मुंह बंद करके उसको किसी बड़ के वृक्ष में छेद करके इक्कीस दिन तक पड़ा रहने देना चाहिए। उसके बाद उसको निकालकर उसमें से अफीम निकालकर आधी-आधी रत्तिया की गोलियां बनाकर दूध के साथ सेवन करने से वीर्य में बहुत अधिक स्तंभन शक्ति बढ़ जाती है। जितने भी वीर्य विकार होते हैं सब नष्ट हो जाते हैं। इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति संभोग में एक अलग ही आनंद का लुफ्त उठाता हैं।
अफीम खाने पर क्या करें| What to do when eating opium
(1) अगर किसी ने अफीम खा ली हो और उसके उपद्रव शुरू हो गए हो तो उसी समय उसे हींग पानी में मिलाकर पिलाना चाहिए। उसी समय जहर उतर जाएगा।
(2) मैनफल, नीम का क्वाथ या तंबाकू के क्वाथ इनमें से किसी भी एक औषधि के द्वारा उल्टी करवाने से भी अफीम का विष उतर जाता है।
(3) अरीठा भी अफीम का प्रबल शत्रु है। अरीठे के जल को पिलाने से भी अफीम का विष उतर जाता है।
(4) करमू के शाक का रस निचोड़ कर पिलाने से अफीम द्वारा प्राण त्याग करता हुआ बीमार भी बच जाता है।