नौसादर की पहचान, गुण-दोष, फायदे व नुकसान। Benifits Of Nausadar (Ammonium chloride) In Hindi

नौसादर / Nausadar / Ammonium chloride

संस्कृत —  क्षारश्रेष्ठ (Charsreshat), अमृतसार (Amratsaar), चूलिका लवण (Chulika lavan), नरसार (Narsaar) इत्यादि।   हिंदी —  नौसादर (Nausadar) ।   बंगाल —  निसादल (Nisadal)।   मराठी -  नौसागर (Nausagar)।   गुजराती –  नौसार (Nausaar)।   लेटिन – Ammonium chloride (एमोनियम क्लोराइड)।

नौसादर / Nausadar / Ammonium chloride









नौसादर के अन्य भाषाओं में नाम — Names of Nausadar in other languages 

संस्कृत —  क्षारश्रेष्ठ (Charsreshat), अमृतसार (Amratsaar), चूलिका लवण (Chulika lavan), नरसार (Narsaar) इत्यादि। 

हिंदी —  नौसादर (Nausadar) । 

बंगाल —  निसादल (Nisadal)। 

मराठी -  नौसागर (Nausagar)। 

गुजराती –  नौसार (Nausaar)। 

लेटिन – Ammonium chloride (एमोनियम क्लोराइड)।






नौसादर की पहचान  - Nausadar's identity - Nausadar Ki Pehchan


नौसादर तीन प्रकार का होता है ।  

    (१)   पहला वह जो खनिज द्रव्यों की तरह खदानों से निकलता है । अफ्रिका वगैरह धर्म मुल्कों में इसकी खदाने हैं और वहां से इसके टुकड़े सोरे की तरह निकलते हैं ।


   (२)   अंजुमन अराए नासरी में लिखा है कि दमदान शहर में पानी के नाले से यह पानी के साथ निकलता है । इस पानी को जोश देने से इसके सफेद टुकड़े जम जाते हैं । खुरासान, बुखारा और अमरकन्द में भी इसके सोते हैं ।


  (३)   टट्टी, पेशाब वगैरह की गन्दगी जलाने से भी नौसादर बनता है यह पहले खाकी रंग का होता है, साफ करने के बाद सफेद और चमकदार हो जाता है ।

         डॉक्टर लोग नमक के तेजाब को पानी में घोल कर उसमें कार्बोंनेट आफ एमोनियम मिलाकर गर्मी के जरिये सुखा लेते हैं अथवा सलफेट आफ एमोनिया और नमक को मिलाकर बनाते हैं ।


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नौसादर के गुण, दोष और प्रभाव - Nausar Ke Gun-Dosh - Nausadar's merits, demerits and effects


आयुर्वेदिक मत से नौसादर तीक्ष्ण, सारक, व्रण विदारक, बहुत उष्ण, गुल्म-नाशक और कब्जियत, उदर, शूल, यकृत रोग, प्लीहा रोग, ज्वर, सिर दर्द, स्तन, रक्तति, खांसी और योनि रोग में लाभदायक है ।


यह दूसरे दर्जे के आखिर में गर्म और खुश्क है । गिलानी के मत से तीसरे दर्जे में गर्म और खुश्क है । यह पाचक  है आमाशय के खराब दोषों को दूर करता है और बड़ी हुई तिल्ली को ठीक करता है । पेट के वायु और पेट के वायु और आफरे को मिटाता है । भूख बढ़ाता है । शरीर के किसी भी अंग से होने वाले रक्तस्राव को बन्द कर देता है । इसको आंख में लगाने से आंख का जाला कट जाता है, इसके लोशन को जखम पर रखने से जखम भर जाता है । जहरबाद पर इसका लेप करने से लाभ होता है । किसी भी प्रकार के जहर का असर ४ माशे नोसादर खाने से दूर हो जाता है । इसको पानी में घोलकर मकान में छिड़कने से मकान में सांप नहीं आता ।


अधिक मात्रा में यह एक विष है । १० मासी की मात्रा में खाने से इसका जहरीला असर दिखलाई देने लगता है । इसमें मनुष्य का अमाशय और आँतें विकृत हो जाती है । इसके विष को दूर करने के लिए घी और दूध पिलाना, वमन कराना तथा ठण्डी और शान्तिदायक दवाइयां पिलाना और चिकनी खुराक खिलाना मुफीद है ।


   एलौपैथिक डॉक्टरों के मत से मोच खाए हुए और लचके हुए स्थान पर, टूटी हुई हड्डी पर, उतरे जोड़ों पर जमे हुए खून पर और संन्यास [ Apoploxy ] रोग में इसका लेप करने से लाभ होता है । खास कर जब स्त्रियों के स्तनों पर फोड़ा उठने वाला हो तो वहां पर इसको लगाने से बहुत लाभ होता है। इसको सूंघाने से गला, श्वासनली और फेफड़े के ऊपर की झिल्ली में रक्त प्रवाह की गति बढ़ जाती है । गले की पुरानी सूजन तथा खांसी और कान के भीतर की सूजन में इसका उपयोग लाभदायक होता है । 


   उचित मात्रा में धातु परिवर्तक, शान्तिदायक, मूत्रल और मासिक धर्म लाने वाला है, यह हाजमे को बढ़ाता है, यकृत की वृद्धि, सूजन और शिथिलता को दूर करता है पुरानी खासी और निमोनिया की पिछली स्टेज में इसको रब्बेसूस और स्प्रिट आफ ईथर के साथ देने से लाभ होता है । जुकाम के बाद होने वाली खांसी में इसके टुकड़े को मुंह में रखकर चूसने से बहुत लाभ होता है । जोड़ों के दर्द में भी यह एक उत्तम शान्तिदायक वस्तु है ।


   हिस्टीरिया और गर्भाशय की विकृति से होने वाले सिर दर्द में यह लाभदायक है। यकृत की खराबी से होने वाले जलोदर में इसको दूसरी मुत्रल ओषधियों के साथ देने से बड़ा लाभ होता है। स्त्रियों के रुके हुए मासिक धर्म को खोलने के लिए इसको १० ग्रेन की मात्रा में दिन में तीन बार दिया जाता है। फेफड़े अमाशय और गर्भाशय से होने वाले रक्तस्राव में भी इसे देते हैं। स्त्रियों के स्तनों में दूध-रुक जाने या और किसी कारण से सूजन आ जाए तो उसे दूर करने के लिए भी इसका प्रयोग लाभदायक होता है । बच्चों के अण्डकोष [ फोतों ] अगर पानी भर जाय तो दो ड्राम नौसादर को एक औंस पानी में मिलाकर उस लोशन को लगाने से लाभ होता है ।











 नौसादर के फायदे - Nausadar Ke Fayde - Benefits of Nausadar


नारू में नौसादर का उपयोग - Use of Nausadar in Nauru

नारू की सूजन पर इसका लेप करने से और इसको ५-६ रत्ती की मात्रा में खिलाने से नारू जल्दी निकल जाता है ।

  

श्वास–नलियो के रोग में नौसादर से फायदा - Benefit from Nausadar in respiratory diseases

इसको पान में रखकर खिलाने से श्वास नलिका के रोग मिटते हैं ।


आधा शीशी के लिए नौसादर - Nausdar for half a vial

इसको ५ से १० रत्ती तक की मात्रा में तीन चार दिन तक देने से आधा शीशी मिट जाती हैं ।


सिर दर्द के लिए नौसादर - Nausadar for headache

इसको एक माशे की मात्रा में तीन तीन घण्टे के अन्तर से तीन बार लेने से सिर दर्द मिट जाता है । 


तिल्ली की वृद्धि होने पर नौसादर का उपयोग - Use of Nausadar for enlargement of spleen

घी गुवार के गूदा पर नौसादर का चूर्णभुराभुराकर खिलाने से बढ़ी हुई तिल्ली कट जाती है । 


आवाज़ का बैठ जाने पर नौसादर का उपयोग - the use of nausadar when the voice settles down

इसको कुलंजन के साथ पान में रखकर खिलाने से बैठी हुई आवाज सुधर जाती है ।


कुक्कुर खांसी में नौसादर का इस्तेमाल - Use of Nausadar in whooping cough

अडूसे के काढ़े पर इसका चूर्ण भुरभुराकर पीने से कुक्कुट खांसी मिटती है ।


मूत्रनाली के रोग में नौसादर से फायदा - Benefits of Nausadar in urinary tract disease

इसको गोखुरू के काढ़े पर भुरभुराकर पीने से मुत्रनाली के रोग मिटते हैं ।


आधा शीशी में नौसादर से फायदा - Benefits of Nausadar in half a vial

इसको कुटकी के साथ पीसकर सिर और कनपटियों पर लेप करने से आधा शीशी मिटती है ।


यकृत–सम्बन्धी रोग के लिए नौसादर - Nausadar for liver disease

इसको ५ रत्ती की मात्रा में दिन में ३ बार देने से यकृत-सम्बन्धी कई रोग दूर होते हैं।


दांत का दर्द के लिए नौसादर का उपयोग - Use of Nausadar for Toothache

इसको ज्वार के दाने के बराबर लेकर रूई में रखकर दांत के खड्डे में दबा देने से दांत का दर्द फोरन मिट जाता है ।


मोतियाबिन्द में नौसादर का इस्तेमाल - Use of Nausadar in Cataract

इसको बारीक पीसकर सलाई से आंख में आंजने से मोतियाबिन्द जाता रहता है । नौसादर और फिटकिरी इन दोनों को बारीक पीसकर आंख में लगाने से आंख के सब रोग आराम होते हैं ।


बुखार ठीक करने के लिए नौसादर का इस्तेमाल - Use of Nausadar to cure fever

तीन रत्ती नौसादर और दो काली मिर्च पीसकर बुखार चढ़ने के पहले देने से बुखार रुक जाता है ।


श्वेत कुष्ठ में नौसादर से फायदा - Benefit from Nausadar in white leprosy

नौसादर के चूर्ण को शहद के साथ पीसकर लेप करने से श्वेत कुष्ठ में लाभ होता है।


आधा शीशी के लिए नौसादर - Nausdar for half a vial

दो रत्ती नौसादर को दो रत्ती काले दाने के साथ पानी में पीसकर नाक में टपकाने से आधा शीशी आराम होती है ।


बिच्छू का विष तारने में नौसादर का उपयोग - The use of nausadar in stinging scorpion venom

नौसादर को हड़ताल के साथ पीसकर डंक पर लगाने से बिच्छू का जहर उतर जाता है नौसादर, चूना और सोहागा इन तीनों को बारीक पीस कर सूंघने से भी बिच्छू का जहर उतर जाता है ।


तिल्ली की सूजन में नौसादर का इस्तेमाल - Use of Nausadar in Spleen Swelling

पोने दो माशे नौसादर को मूली के रस के साथ पीने से तिल्ली की सूजन घट जाता है ।



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नौसादर के नुस्खे - Nausadar Ke Nuskhe - Nausadar's Recipes

एमोनियाकार्ब - amoniacarb

नौसादर और कली के चुने को समान भाग लेकर एक मजबूत बूचवाली शीशी में भरकर अच्छी तरह मिलाकर रख देना चाहिए। इसको एनिमोनियाकार्ब कहते हैं । इसको सूंघने से हर तरह का सिर दर्द, आधा शीशी, हिस्टीरिया, बेहोशी, मूर्छा, उन्माद, भूत बाधा इत्यादि रोगों में आश्चर्यजनक लाभ होता है । जिन स्त्रियों को भूत बाधा का दौरा आता है उनको यहा वस्तु सुंघाते ही दोरा मिट जाता है । बिच्छू के विष में भी इसको सुंघाने से लाभ होता है ।


नमक सुलेमानी - salt agate

नौसादर १ तोला,यवक्षार १ तोला, सेंधा नमक १ तोला, सफेद मिर्च २ तोला, इन सब चीजों को बारीक पीसकर बोतल में भरकर रख देना चाहिए। इसको डेढ़ माशे से २ माशे तक की मात्रा में गर्म पानी के साथ देने से हर प्रकार का उदरशूल, वायुगोला, चूंक इत्यादि उदर रोग तत्काल दूर होते हैं ।


नौसादर के नुकसान - Disadvantages of Nausadar - Nausadar Ke Nuksan

इसको अधिक मात्रा में अधिक दिन तक सेवन करने से यकृत और  आंतों को बहुत नुकसान पहुंचता है ।


 दर्पनाशक (नौसादर का विष तारने के लिए) — दूध, गाय का घी और बादाम का तेल ।


 प्रतिनिधि— यवक्षार ।


  नौसादर की मात्रा—४ रत्ती से १५ रत्ती तक ।