वंशलोचन (तबाशीर) के फायदे और नुकसान | Vanshlochan (Bamboo Manna) benefits in hindi

वंशलोचन / तबाशीर / Vanshlochan / Bamboo Manna


संस्कृत—वंशलोचन (vanshlochan), त्वक्रक्षीरी(tavkrshiri), क्षीरिका (shkrika), कपूर रोचन (Kapur Rochan), तुग्ङा (Tugda), रोचनिका (Rochnika), पिंगा (Pinga), बंशशर्करा (Banssarkara), बंस कर्पूर (Bans Karpur)।   हिन्दी—बंशलोचन  (Banshlochan) ।   गुजराती—बांसकपूर (Banshkapur)।   बंगाल—बंशलोचन (Banshlochan), बांसकावर (Banskavar)।   मराठी—बंशलोचन (Banshlochan)   फारसी—तबाशीर (Tabasir)।   अंग्रेजी—Bamboo Manna।   लेटिन–Bambuna Arundinacea (बाबूना अरंडी-नेसिया)।
VANSHLOCHAN BANATA AK AADMI




वंशलोचन (तबाशीर) की पहचान — Identification of Vanshlochan (Tabashir)


वंशलोचन एक जाति के बस के अंदर से जिसे नजला बांस कहते हैं निकलता है। यह बांस मादा जाति का होता है और इसमें एक जाति का मद जम जाता है जो सूखने के पश्चात् निकाला जाता है। इसको हिंदी में बंशलोचन और गुजराती में बांसकपूर करते हैं। इस वस्तु की कीमत अधिक होने से इसके कई प्रकार की नकली चीजों की मिलावट कर दी जाती है। इसलिए इसको लेते समय बहुत सावधानी रखने की जरूरत है। असली बंशलोचन सफेद रग्ङ का होता है। मगर उस पर नीले रग्ङ की झाई होती है। इसको लकड़ी अथवा पत्थर पर घिसने से किसी प्रकार का निशान नहीं होता इसको हाथ की चुटकी में लेकर दबाने से यह नहीं टूटता और मुंह में रखने से भी एक दम नहीं गलता। नकली बंसलोचन असली के बराबर ओज पूर्ण नहीं होता। उसको पत्थर पर घिसने से उसकी लकीर उधड़ जाती है। असली वंशलोचन में पानी को सोख लेने की शक्ति रहती है और पानी सोख लेने के पश्चात् वह पारदर्शक हो जाता है। नकली बंशलोचन पानी में डालते ही घुल जाता है।




वंशलोचन (तबाशीर) के अन्य भाषाओं में नाम — Names in other languages of Vanshlochan


संस्कृत—वंशलोचन (vanshlochan), त्वक्रक्षीरी(tavkrshiri), क्षीरिका (shkrika), कपूर रोचन (Kapur Rochan), तुग्ङा (Tugda), रोचनिका (Rochnika), पिंगा (Pinga), बंशशर्करा (Banssarkara), बंस कर्पूर (Bans Karpur)। 

हिन्दी—बंशलोचन  (Banshlochan) । 

गुजराती—बांसकपूर (Banshkapur)। 

बंगाल—बंशलोचन (Banshlochan), बांसकावर (Banskavar)। 

मराठी—बंशलोचन (Banshlochan) 

फारसी—तबाशीर (Tabasir)। 

अंग्रेजी—Bamboo Manna। 

लेटिन–Bambuna Arundinacea (बाबूना अरंडी-नेसिया)।


Bamboo Manna/Banslochan/Bambusa/Vanslochan/Tabaasheer/Tawakshira/Kalak/Magar/तबाशीर / वंशलोचन – 100g



वंशलोचन (तबाशीर) के गुण, दोष और प्रभाव — Properties, demerits and effects of Vanshlochan (Tabashir)


आयुर्वेदिक मत से वंशलोचन रूखा, कसेला, मधुर, रक्त को शुद्ध करने वाला शीतल, ग्राही, वीर्यवर्धक, कामोद्दीपक और क्षय,श्र्वास, खांसी, रुधिर विकार, मन्दाग्नि, रक्त पित्त, ज्वर, कुष्ठ, कामला, पांडुरोग, दाह, तृषा, व्रण, मूत्रकृच्छ और वात को नष्ट करता है।


वंशलोचन (तबाशीर) दूसरे दर्जे में सर्द और खुश्क होता है। यह काबिज, ह्रदय को आनन्द देने वाला, आमाशय की गरमी को दूर करने वाला और प्यास को बुझाने वाला होता है, ह्रदय, यकृत और आमा-शय को यह ताकत देता है। इसको पीसकर मुंह में बुरबुराने से मुंह के छाल मिटते हैं। खांसी, बुखार, पित्तरोग, गरमी का पागलपन, बेहोशी तथा पित्त के दस्त और वमन में यह बहुत मुफीद है।


      गर्मी की वजह से दिल में दशहत, गमगीनी और बहम पैदा हो जाय तो इसके प्रयोग से बहुत लाभ होता है। गर्मी की वजह से पैदा हुई अङ्गों की कमजोरी में बहुत लाभ होता है। बवासीर से बहने वाले खून और अनैच्छिक वीर्यस्त्राव को भी यह बन्द करता है। इसको एक पोटली में बांधकर पानी में डाल दें और उस पानी में से थोड़ा २ पानीं ऐसे रोगियों को पिलावें जिनको बहुत प्यास लगती हो उनको बहुत लाभ होगा। मिट्टी खाने वाले बच्चों को इसकी कंकरी हाथ में देने से उनकी मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है।






वंशलोचन (तबाशीर) का रासायनिक विश्लेषण — Chemical analysis of Vanshlochan (Tabashir)


वंशलोचन में ७० प्रतिशत सेलिसिक एसिड और ३० प्रतिशत पोटास तथा चूना रहता है। डॉक्टर देसाई के मत से इसमें ६०।। प्रतिशत सेलिसिक एसिड, १।।। प्रतिशत यवक्षार ओर ३।४ प्रतिशत मण्डूर का अंश रहता है।


   जिस वंशलोचन (तबाशीर) में जितनी अधिक सेलसिक एसिड होती है वह उतना ही उत्तम रहता है। इसके प्रयोग से श्वासेन्द्रिय की श्लेष्म त्वचा को बल मिलता है और इस वजह से इसके द्वारा उत्पन्न होने वाला कफ कम तादाद में उत्पन्न होता है। इस कार्य के लिए शोतोपलादि चूर्ण का योग बहुत उत्तम साबित हुआ है। यह चूर्ण बच्चों और नौजवानों के लिए विशेषरूप से उपयोगी होता है इसके कफ रोगों के अंदर त्वचा की दाह कम होती है और कभी २ कफ के साथ खून का बहना बन्द हो जाता है।


    वंशलोचन (तबाशीर) एक उत्तेजक और ज्वर नाशक वस्तु है। इससे पक्षाघात की शिकायतें, दमा, खांसी और साधारण कमजोरी में बहुत लाभ होता है।








वंशलोचन (तबाशीर) के फायदे व उपयोग — Benefits and uses of Vanshlochan (Tabashir)


सूखी खांसी मे वंशलोचन (तबाशीर) का उपयोग — Use of Vanshlochan (Tabashir) in dry cough

इसको १० रत्ती २० रत्ती तक की मात्रा में शहद के साथ चाटने से सुखी खांसी मिटती है।



पेशाब की जलन मे वंशलोचन (तबाशीर) का प्रयोग — Use of Vanshlochan (Tabashir) in burning of urine-

गोखरू, वंशलोचन और मिश्री के चूर्ण को कच्चे दूध के साथ देने से मूत्र की जलन मिटती है।



वंशलोचन (तबाशीर) और विष विकार — Vanshlochan (Tabashir) and poison disorder

साधारण विष विकार के अन्दर इसको शहद के साथ चाटने से शान्ति मिलती है।



वंशलोचन (तबाशीर) ठीक करे मुंह के छाले — Vanshlochan (Tabashir) cure mouth ulcers

वंशलोचन को शहद में मिलाकर लेप करने से मुंह के छाले मिटते हैं।



श्वास और खांसी मे वंशलोचन (तबाशीर) का इस्तेमाल — Use of Vanshlochan (Taseer) in breathing and cough

इसको शहद के साथ चाटने से बालकों का श्वास और खांसी मिटती है।



पुराना बुखार ठिक करता है वंशलोचन (तबाशीर) — Cures chronic fever Vanshlochan (Tabashir) 

वंशलोचन और गिलोय के सत को शहद में मिलाकर चाटने से पुराना ज्वर मिटता है।



रक्त-पित्त मे वंशलोचन (तबाशीर) — Vanshlochan in blood-bile 

शहद के साथ इसका सेवन करने से रक्तपित्त मिटता है।






वंशलोचन (तबाशीर) के नुस्खे — Remedies for Vanshlochan (Tabashir)


शीतोपलादि चूर्ण — Sitopaladi Churna - Sheetopaladi churna

मिश्री १६ तोला, वंशलोचन, तोला, छोटी पीपर ४ तोला, छोटी इला यची के बीज  दो तोला और दालचीनी १ तोला। इन सब चीजों को क् पीस कर पकड़े में छान लेना चाहिए, यह आयुर्वेद के सुप्रसिद्व शीतोपलादि चूर्ण का पाठ है, जो कि शरीर की साधारण कमजोरी दुर्बलता, क्षय, दम खांसी और मन्दाग्नि में बहुत उपयोगी माना जाता है। मगर हमारे अनुभव में आया है कि यदि इस नुसखे में ४ तोला गिलोय सत्त्व और २ तोला प्रवाल भस्म और मिला दी जाय तो वह बहुत प्रभावशाली हो जाता है और मनुष्य के बल, कान्ति और ओज के बढ़ाने में बड़ा सहायक होता है।







सुजाक नाशक गोली — Sujak Nasak Golli - gonorrhea pill

वंशलोचन, कवाबचीनी, असली नागकेशर और इलायची के बीज ये चारों चीजें समान भाग लेकर पीसकर कपड़े में छान लेना चाहिए। फिर इस चूर्ण को असली मलयागिरी चन्दन के तेल में अच्छी तरह तर करके झड़वेर के बराबर गोलिया बना लेना चाहिए। इन गोलियों में से एक २ गोली सबेरे शाम तोला पानी में डालकर उसमें आधा तोला शक्कर मिलाकर अच्छी तरह घोलकर पी जाना चाहिए। इस प्रयोग से व्यभिचार जनित नई सुजाक की जलन एक ही दिन में शान्त हो जाती है और ७ दिन में तो भयङकर सुजाक भी नष्ट हो जाता है। यह औषधि जब तक चालू रहे तब तक पथ्य में सिर्फ गेंहू की रोटी, घी और शक्कर ही देना चाहिए।

  

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