नीम बकायन / Bakayan Neem / Chinaberry / Melia Azedarach
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BAKAYAN / MAHANEEM / CHINABERRY |
बकायन नीम कि पहचान // Bakaayan Neem Ki Pahchaan // Identity of Bakyan Neem
बकायन का पेड़ हिंदुस्तान में बहुत स्थानों पर पाया जाता है। उसके बुक्ष ३२ से ४० फूट ऊँचे होते हैं। इसका वृक्ष बहुत सीधा होता है। इसके पत्ते नीम के पलों से कुछ बड़े होते हैं। इसके फल गुच्छों के अन्दर लगते हैं। वे नीम के फूलों से कुछ बड़े होते हैं। इसके फल पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसके बीजों में से एक प्रकार का स्थिर तेल निकलता है जो नीम के तेल की तरह होता है। इस वनस्पति का पंचांग अधिक मात्रा में विषैला होता है ।
बकाया के पेड़ में फागुन और चैत के महीने में एक प्रकार का दूधिया रस निकलता है। यह रस मादक और विषैला होता है। इसलिए फागुन और चैत के महीने मैं वनस्पति का व्यवहार नहीं करना चाहिए।
इसकी छाल, पत्ते और फलों को अधिक मात्रा में लेने से शरीर पर एक प्रकार का विषैला प्रभाव पड़ता है। जिसमें मनुष्य अचेत हो जाता है। इसके ६।७ बीजों को खिलौने पर मनुष्य के शरीर में उल्टी, ऐंठन और हैजे के पूर्ण लक्षण दृष्टिगोचर होने लगते हैं और कुछ देर में मनुष्य की मृत्यु हो जाती है।
बकायन नीम के नाम // Bakaayan Neem ke Naam // Bakaayan Neem Names
संस्कृत — बृहत् (brahat), निम्बू (nimbu), अक्षद्रु (Aksadru), गैरिका (Garika), गिरिपत्रा (Giriptra), हिमद्रुमा (Himdruma),केदर्य (Kedarya), ककंडा (Kanda), केशमुष्टि (Keshmushti), क्षीरा (Ksheera), महां–द्राक्षा (Maha-draksha), महानिम्ब (Mahanimb), महातिक्ता (Mahatikta), पर्वता (Parvata), पवनेष्टा (Pawaneshta), शुक्ल सारका (Shukla Saraka),विषमृष्टिका (Vismarshtika)।
हिन्दी — बकायननिंब (Bakaynimb), डेकना (Dekna), द्रेक (Drake), बकेरजा (Bakerja)।
गुजराती — बकाण लीबडो (Bakan libdo) !
बंगाल — घोडानीम (Ghodaneem)।
गढ़वाल — डेकना (Dekna) ।
फारसी — अजदेदेरचटा (Ajdederchata), सकें (sanke)।
पंजाब — बकेन चेन (Bakken Chain), ढेक (Dhek), जेफ (Jeff), कचेन (Kachen)।
तामील — मलह देबू (Malah Debu), गड़वाल—डेकना (Gadwal - Dekna)।
फारसी — अजदेदेरचटा (Ajdederchata), बकेन व्हिटीव्हेप (Bakken Whitewrap)।
उर्दू — बकायन (Baqaan)।
लेटिन — Melia Azedarach(मेलिया अक्षेडेरचा)।
बकायन नीम के गुण-दोष और प्रभाव // Properties and effects of Bakyan Neem
आयुर्वेदिक मत से बकायन कड़वा, शीतल, रूक्ष, कसेला, मलरोधक तथा कफ, दाह, व्रण, रक्तरोग, पित्त, कृमि विषम ज्वर, ह्रदय रोग, कुष्ठ, वमन, प्रमेह, हैजा, चूहे का विष, गुल्म, शीतपित्त, अर्श और श्वास रोग को दूर करने वाला होता है।
इसके बीज कड़वे और कफ निस्सारक होते हैं । बढी हुई तिल्ली में इनका उपयोग किया जाता है। हृदय के दोषों में भी लाभदायक है। ये वमनकारक, रक्तस्रावरोधक, नकसीर को रोकने वाले, दांतों को मजबूत करने वाले, सूजन को नष्ट करने वाले और गीली तथा सूखी खुजली को दूर करने वाले होते हैं। इसके बीजों का तेल मस्तिष्क को ताकत देने वाला, मृदुविरेचक, कर्णशूल को दूर करने वाला, रक्तशोधक और बवासीर, तिल्ली और यकृत की विकृति तथा सूजन को दूर करने वाला होता है। इसके फूल और पत्ते मूत्रल, ऋतु-स्त्राव नियामक और स्नायविक मस्तकशूल और सर्दी के शोय को दूर करने वाले होते हैं।
बकायन नीम के अन्य देशों मे इस्तेमाल - Uses of Bakyan Neem in Other Countries
मुसलमानी देशों में इस वनस्पति का उपयोग बहुत बड़ी मात्रा में किया जाता है। परशियन हकीम इसकी जानकारी हिन्दुस्तान से ले गये थे। उन लोगों के मत से इस वृक्ष की छाल, फूल, फल और पत्ते गरम और रूक्ष होते हैं। इसके फल और पत्तों का पुल्टिस व लेप लगाने से स्नायविक मस्तक शूल होता हैं। इसके पत्तों का रस अन्य:प्रयोग में लेप से मूत्रल, ऋतुस्त्राव-नियामक, रक्तशोधक और सरदी के शोथ को मिटाने वाला होता है।
पंजाब में इसके बीज संधिवात की पीड़ा दूर करने के लिए दिए जाते हैं। कांगड़ा में इसके बीजों का चूर्ण दूसरी औषधियों के साथ मिलाकर पुल्टिस के रुप में या लेप के रूप में गठिया और संधिवात की पीड़ा में लगाया जाता है ।
अमेरिका में इसके पत्तों का काड़ा हिस्टीरिया रोग को दूर करने वाला, संकोचक और अग्निवर्धक माना जाता है। इसके पत्ते और गलित कुष्ठ और कंठमाला को दूर करने के लिए खाने और लगाने के काम में लिये जाते हैं । ऐसा विश्वास किया जाता है कि इसके फलों के पुल्टिस में कृमिनाशक तत्त्व रहते हैं और इससे चर्मरोगों को दूर करने के लिये यह एक महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इसके फल में विषैले तत्त्व रहते हैं। फिर भी यह गलित कुष्ठ और कंठमाला में उपयोग किया जाता है।
इण्डोचायना में इसके फल और फूल अग्निवर्धक, संकोचक और कृमिनाशक माने जाते हैं। कुछ विशेष प्रकार के ज्वर और मूत्र सम्बन्धी रोगों में इसके फलों का उपयोग किया जाता है। इसके बीज टायफाइड फीवर, मूत्र का अवरोध और उदर के शूल को दूर करने के लिये दिये जाते हैं।
कोमान के मतानुसार इसकी छाल का काढ़ा कटुपोष्टिक, पार्यायिक ज्वरों को दूर करने वाला और मन्दाग्नि नाशक समझा जाता है वास्तव में यह एक प्रभावशाली कटुपोस्टिक वस्तु है। किंतु इसमें मलेरिया कीटाणुओं को नष्ट करने वाले कोई तत्व नहीं पाये जाते।
डाक्टर देशाई के मतानुसार // According to Dr. Desai
बकायन नीम के धर्म साधारण नीम की तरह होते हैं। यह कृमिनाशक, चर्म-रोगों को दूर करने वाला, गर्भाशय के लिए संकोच व वेदनानाशक और शोधक होता है इसके प्रयोग से गोल जन्तु मर जाते हैं। इसकी अधिक मात्रा होने से दस्त और उल्टी होकर नशा आ जाता है।
कृमि रोग में अथवा कृमियों से उत्पन्न होने वाले ज्वर में यह एक उत्तम गुणकारी वस्तु है।
प्रसूतिकाल में होने वाले मस्तकशूल और गर्भाशय के शूल पर इसके पत्तों और फूलों को कुचल कर सिर और पेडू पर बांधने से लाभ होता है। रक्तपित्त, कण्ठमाला और रक्तदोष से उत्पन्न हुए चर्मरोगों में इसके बीज या पत्तों का रस दिया जाता है।
बकायन नीम के उपयोग — Bakayan Neem Ke Fayde - Uses of Bakyan Neem
कृमि रोग उपचार — worm disease treatment
बकायन के पत्तों का रस मिलाने से पेट के कृमि मरते हैं।
पथरी का दर्द का इलाज — stone pain treatment
बकायन के पत्तों का रस निकाल कर उसमें जवाखार मिलाकर पीने से शर्कराश्मरी मिटती है।
मासिक धर्म सम्बन्धी रोग — menstrual disorders
इसके रस में अकरकरे का रस मिलाकर पिलाने से स्त्रियों का मासिक धर्म शुद्ध हो जाता है।
सर्दी जुकाम का घरेलू उपचार — home remedies for cold
इसके रस को गरम कर लेप करने से सरदी का शोथ मिटता है।
आवेश रोग — passion disease
इसके पत्तों का क्वाथ स्त्रियों के आवेश रोग में मिलाया जाता है
उदरशूल या पेट दर्द का इलाज — colic treatment
इसके क्वाथ में सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से उदर शूल मिटता है।
गण्डमाला का आयुर्वेदिक उपचार — ayurvedic treatment for goiter
इसके पत्ते और छाल का क्वाथ बनाकर पीने से कुष्ठ और कण्ठमाला मिलती है। ऊपर से अगर इसका लेप किया जाय तो और भी जल्दी लाभ होता हैं।
फोड़े फुंसी का इलाज — boils pimple treatment
इसके फुलों को पीस कर लेप करने से खुजली, फोड़े-फुंसी और दुसरे चर्मरोग मिटते हैं।
गठिया रोग (अर्थराइटिस) का उपचार — treatment of arthritis
इसके बीजों के चूर्ण की फक्की लेने से और इसके बीजों को खुर्बानी के साथ पीसकर लेप करने से गठिया में बड़ा लाभ होता है।
पेट के कीड़े की दवा — stomach worm medicine
इसके सूखे फूलों को सिरके में पीसकर सूक्ष्म मात्रा में पिलाने से बच्चों के पेट में पड़ने वाले चुन्ने और दूसरे कृमि पेट में से निकल जाते हैं।
सिर के गंजेपन की दवा — head baldness medicine
इसके बीजों को कड़वे तेल में जलाकर लेप करने से सिर की गंज में लाभ होता है।
बवासीर की दवा — piles medicine
बकायन की मींगी और सौंफ को पीसकर उसमें समान भाग मिश्री मिलाकर दो माने की मात्रा में देने से बवासीर में लाभ होता है। अथवा बकायन के पाव भर पत्तों में दो तोले नमक मिलाकर, पीसकर,झरबैर के बराबर गोलियां बनाकर खिलाने से बवासीर मिटता है।
नारू — Dracunculiasis
इसका १ बीज नित्य ७ दिन तक खिलाने से नारू गल जाता है।
प्रमेह या गोनोरिया बीमारी का अचूक आयुर्वेदिक उपचार — Perfect Ayurvedic treatment for Prameha or Gonorrhea disease
इसके बीजों को चावलों के पानी में पीसकर घी मिलाकर पिलाने से पुराना प्रमेह मिटता है।
साइटिका का आयुर्वेदिक इलाज — Ayurvedic Treatment for Sciatica
बकायन के सार को पानी के साथ पीसकर पिलाने से और इसकी जड़ की छाल का लेप करने से गृध्रसी में लाभ होता है।
प्रतिनिधि—इसका प्रतिनिधि मजीठ है
दर्पनाशक—इसका दर्पनाशक सौंफ है।
मात्रा—इसकी छाल की मात्रा ३ से ६ माशे तक और इसके बीजों की मात्रा १ रत्ती तक है।
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